



कपूरथला : अखिल भारतीय श्री चैतन्य गौड़ीय मठ संस्था के महान वैष्णव संत श्रद्धेय भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज का जन्म शताब्दी महा महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया। प्राचीन शिव मंदिर लोहिया खास में प्रवचन करते हुए भक्ति विबुद्ध मुनि ने कहा कि परमब्रहम भगवान की कृपा ही सद्गुरु के रूप में प्रकट होती है। सद्गुरु भगवान नहीं है, अपितु भगवान के अत्यन्त प्रियजन हैं। वे तो केवल भगवत प्राप्ति का मार्गदर्शन करते हैं। अध्यात्मिक मार्ग में गुरुकृपा के अतिरिक्त और कोई संबल नहीं है। गंगा के तो स्पर्श करने के पश्चात व्यक्ति पवित्र होता है, किन्तु एसे संत के तो दर्शन मात्र से ही तन-मन सब पावन हो जाते हैं।
जगद्गुरू श्रीमद् भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी का ऐसा अद्भुत आदर्श चरित्र था। जिसको देखकर उनके शिष्य तो दांतों तले उंगलियां दबाते ही हैं।उनके सामान संत संत भी उनकी दिव्य। गुणों की महिमा का गुणगान करते हैं। और उनको अपने जीवन का आदर्श मानते हैं, यहां तक कि उनके गुरु के समान संत भी अपने आशीर्वादमयी वाणी में उनकी महिमासूचक शब्दों का करते हुये उन्हें शास्त्रों में वर्णित तमाम संतों के गुणों का मूर्तिमान स्वरूप कह गये हैं। ऐसे उच्च कोटि के संत जिनके संसार से चले जाने के बाद भी लोग उनकी वाणी को भगवान की वाणी मानकर उनका पालन करते हैं उनमें एक विशेष नाम है परमहंस श्रीमद् भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज है।
फोटो कैप्शन : लोहिया खास के प्राचीन शिव मंदिर में प्रवचन करते विबुद्ध मुनि जी महाराज। भजनों पर झूमती संगत।