



कपूरथला
कोई भी राष्ट्र समाज के सभी वर्गों की भागीदारी के बिना विकास पर विचार नहीं कर सकता है।एक राष्ट्र का विकास सही दिशा में होता है जब उसके नागरिक,विशेष रूप से उसके युवा,इन दस बिंदुओं पर खुद को विकसित करते हैं।सत्य,महिमा, शास्त्रों और विज्ञान का ज्ञान,विद्या,उदारता,नम्रता,शक्ति,धन, वीरता और वाक्पटुता।इन सिद्धांतों को किसी के आंतरिक वातावरण(आत्म चिंतन)के हिस्से के रूप में एक मजबूत व्यक्तिगत चरित्र विकसित करने के लिए स्कूल में उसके बढ़ते वर्षों के दौरान ही पढ़ाया जा सकता है।यह बात शिव सेना बाला साहिब ठाकरे शिंदे ग्रुप के जिलाध्क्षय मुकेश कश्यप व सीनियर नेता बलविंदर भंडारी ने बुधवार को संयुक्त प्रेस बयान जारी करते हुए कही।उन्होंने कहा कि सामाजिक बुराइयों से मुक्ति से देश की उन्नति व खुशहाली के लिए सामूहिक योगदान आवश्यक है।उन्होंने जोर देकर कहा कि आज देश को हर प्रकार की सामाजिक बुराइयों से मुक्त करवाने की सख्त जरूरत है और इसके लिए लिए देश के हर वर्ग का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।तभी इन सामाजिक बुराइयों का खात्मा संभव है।मुकेश कश्यप ने कहा हम सभी को अच्छाई के मार्ग पर चलते हुए हर बुराई को खत्म करने के लिए आगे आना होगा।उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में अनेक सामाजिक बुराइयां देश व समाज को अंदर ही अंदर खोखला कर रही हैं।मौजूदा समय में दहेज प्रथा, बाल विवाह,कन्या भ्रूण हत्या,अशिक्षा,रिश्वतखोरी,भ्रष्टाचार,नशा आदि के अलावा अनेक सामाजिक बुराइयां समाज पर हावी हो रही हैं।इन बुराइयों का जड़ से खात्मा करना समय की जरूरत है।आज देश की जनता सभी सामाजिक बुराइयों को खत्म करने का संकल्प लें,क्योंकि वर्तमान समय में ऐसी सामाजिक बुराइयां देश की उन्नति और खुशहाली में बहुत बड़ी बाधा के रूप में साबित हो रही हैं।मुकेश कश्यप ने कहा कि आज हर नागरिक को इन बुराइयों के खात्मे के प्रति खुद भी आगे आना होगा और दूसरों को भी इसके प्रति जागृत करना होगा।उन्होंने कहा कि देश को आजादी दिलाने दिलाने वाले क्रांतिकारी,देशभक्तों और शहीदों ने जिस आजाद भारत का सपना देखा था,उस आजाद भारत के सपने को देश के भीतर फैली हुई विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराइयों ने अपनी गिरफ्त में ले रखा है,जिनसे आजाद भारत के उस सपने को पूरा करने के लिए देश का हर वर्ग आगे आए और अपना योगदान देने के पूरे प्रयास करे।उन्होंने कहा कि इसके साथ ही देश के हर क्षेत्र में जो भी धार्मिक,सामाजिक, समाजसेवी संस्थाएं कार्य कर रही हैं,उन्हें भी इन बुराइयों के प्रति जागरूकता लाने के लिए प्रयास करने चाहिए।सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्हें नियमित रूप से जागरूकता कार्यक्रम,कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित करने चाहिए।