



कपूरथला, 16 अप्रैल
प्राचीन श्री राधा कृष्ण रानी साहिबा मंदिर कपूरथला प्रांगण में श्री राम कथा 5वें दिन देवांशु गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि जिस घर में प्रतिदिन रामायण की कथा होती है वह तीर्थ रूप हो जाता है । जिस घर में रामायण का वास है, उस परिवार को छू भी नहीं सकतीं विपदाएं । रामचरितमानस के अनुसार –रामचरितमानस एहि नामा, सुनत श्रवन पाइअ बिश्रामा॥मन करि बिषय अनल बन जरई,होई सुखी जौं एहिं सर परई॥ भावार्थ:-इसका नाम रामचरित मानस है, जिसके कानों से सुनते ही शांति मिलती है। मन रूपी हाथी विषय रूपी दावानल में जल रहा है, वह यदि इस रामचरित मानस रूपी सरोवर में आ पड़े तो सुखी हो जाए॥ माना जाता है कि जिस घर में रामायण रखी होती है, वहां कभी भूत, पिशाच, प्रेतों का वास नहीं होता है। इसलिए हर घर में रामायण जरूरी है। जिस घर में रामायण के पास सुबह शाम गौ माता के घी का दीपक प्रतिदिन जलाया जाता है, उस घर में आरोग्य बढ़ता है, बीमारियां कम होती है धन धान्य की कमी नहीं होती । जिस घर में यदि रामायण की शाम के समय देशी घी का दीपक जलाकर रामायण की आरती प्रतिदिन होती है। उस घर पर श्रीराम की कृपा सदैव रहती है और घर घर में शांति का वातावरण रहता है। जिस घर में 1 माह में मात्र पूर्णिमा को प्रति माह रामायण का पाठ होता है। उस घर में अकाल मृत्यु नहीं होती है। जिस घर में प्रति सप्ताह रामायण होती है, उस घर पर श्रीराम और माता सीता की कृपा सदैव रहती है। उस घर में बच्चों की वृद्धि होती है। प्रतिदिन रामायण का पाठ होता है उस घर पर भगवान शिव, श्रीराम, माता सीता, श्री हनुमान, शनिदेव, नव ग्रह, 33 कोटि देवी देवताओं की की सदैव कृपा रहती है। उस घर से दरिद्रता भाग जाती है, उस परिवार का यश बढ़ने लगता है। उस घर पर साक्षात मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। बच्चों को कभी भय नहीं लगता। भूत, प्रेत, पिशाच वहां प्रवेश नहीं कर सकते हैं। उस घर में सुख, शान्ति, समृद्धि, धन, अन्न, संतान, मित्र, पड़ोसी, रिस्तेदारों आदि से परिपूर्ण होता है।भगवान श्रीराम विष्णु के सातवें अवतार थे. जो मन लगा कर श्री रामकथा सुनते हैं, उनके मन, वचन व कर्म से उत्पन्न सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. कहा कि मानव समाज को भगवान श्रीराम ने सत्य, न्याय, प्रेम व मर्यादा के पथ पर चलने के लिए प्रेरित किया. श्रीराम ने हमेशा ने बड़ों की बात मानने व छोटों को प्रेम करने की सीख दी है. उन्होंने कहा कि राम नाम अमृत के समान है, जो व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति करा सकता है. राम नाम का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम सर्वत्र विराजमान हैं. उन्हें सदा स्मरण में रखें. शबरी, केवट, मीरा बाई जैसे भक्तों की तरह ईश्वर से प्रेम करें. उन्होंने कहा कि श्रीराम कथा विश्व कल्याणदायनी है, लोक मंगलकारी है। प्रभु श्रीराम का आचरण एवं व्यवहार अपनाने से जीवन आनंदमय हो जाता है। दिन देवांशु गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि रामायण हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में से एक है। इसमें रचित सभी गुण जीवन के लिए हितकारी हैं। ये सभी गुण व्यक्ति को सत्य व सफलता के मार्ग बताते हैं। रामायण में भगवान श्रीराम के गुणों का उल्लेख किया गया है। साथ ही उनके जीवन के संघर्षों का जिक्र है। रोजाना रामायण का पाठ करने से जीवन के सही मोल का पता चलता है। साथ ही मनुष्य के सभी कष्ट भी खत्म हो जाते हैं। रामयण केवल धर्मिक ग्रंथ ही नहीं, बल्कि मनुष्य को जीवन की सीख भी देती है। प्रभु श्रीराम ने रावण का वध कर लंकावासियों को रावण के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई। उन्होंने ने कहा कि भगवान का जन्म असुरों और पापियों का नाश करने के लिए हुआ था। भगवान राम ने बाल्यावस्था से ही असुरों का नाश किया। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जीवन चरित्र अनंत सदियों तक चलता रहेगा। राम कथा में पिता के प्रति मां के प्रति और भाई के प्रति प्रभु राम का जो स्नेह प्रेम रहा सदा सदा के लिए अमर है। राजा दशरथ के संतान न होने के कारण अपने कुलगुरु वशिष्ठ के पास जाते हैं। जहां वशिष्ठ द्वारा श्रृंगी ऋषि से शुभ पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाते है। यज्ञ कुंड से अग्नि देवता का प्रकट होकर राजा दशरथ को खीर प्रदान करते हैं। जिसके बाद राजा दशरथ द्वारा तीनों रानियों कौशल्या, कैकई और सुमित्रा को खीर देते है। उस खीर के खाने से तीनों रानियों को भगवान राम सहित भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म होता है। देवांशु गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि राम कथा सुनने से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। आज भगवान श्रीराम के आदर्शों व व्यक्तित्व को उतारने की जरूरत है। श्रीरामकथा सिर्फ एक कथा नहीं, बल्कि कर्म, त्याग और भक्ति की त्रिवेणी है। अगर प्रत्येक व्यक्ति भगवान श्रीराम के जीवन मूल्यों को आत्मसात कर ले तो समाज का कल्याण हो जाएगा। राम कथा अहंकार त्यागकर एक आदर्श और सत्यवादी जीवन जीने की प्रेरणा देती है। देवांशु गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि जहां भगवान श्रीराम की कृपा होती है, उसी जगह रामकथा संभव हो पाती है। राम की कृपा वहीं होती है, जहां उनके भक्त रहते हैं। प्रभु ने ही मानव शरीर बनाया है। लेकिन पुरुषार्थ मानव का धर्म है। बिना परिश्रम के कुछ भी मिलना असंभव है। रामकथा से हर जीव की व्यथा दूर हो जाती है। संसार के सभी जीवों का मंगल रामकथा के श्रवणपान से ही हो जाएगा। भगवान भक्ति के अधीन होते हैं। श्रद्धापूर्वक की गई भक्ति के आगे वह विवश रहते हैं। भगवान का सच्चा भक्त उन्हें जिस रूप में याद करता है, वह उसी रूप में दर्शन देते है। भारतीय मर्यादा और मां की ममता का उल्लेख करते हुए बताया कि जब भरतजी माता कौशल्या के पास जाकर पश्चाताप करते हैं तो माता कौशल्या भरत को हृदय से लगा लेती हैं। देवांशु गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि तुलसी दास, याज्ञवल्क्य व भगवान शिव रामकथा के तीन वक्ता हुए हैं. तीनों ने रामकथा की अपने ढंग से महिमा बतायी है. रामकथा सूर्य और चंद्र के समान है. रामकथा सुनने से सौ जन्मों की व्यथा मिट जाती है. तुलसीदास ने रामकथा को कलियुग में कामधेनु के समान बताया है. जिस प्रकार से कामधेनु मनवांछित फल प्रदान करती है, रामकथा से भी इच्छित फल मिलता है. तुलसीदास ने बताया है कि रामकथा बुद्धिजीवियों को विश्राम प्रदान करती है. अर्थात यह जान लेना कि जो प्राप्त है, वह पर्याप्त हो गया है, यही विश्राम है. याज्ञवल्क्य ने रामकथा को मनुष्य के तमाम विकारों को दूर करने वाला बताया है. काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ, मत्सर को नष्ट करके रामकथा मनुष्य को शुद्ध और बुद्ध बनाती है. रामकथा रूपी दवा को लिया जाय तो जीवन के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं. रामकथा से मानव का जीवन संवर जाता है. रामकथा के तीसरे वक्ता भगवान शिव स्वयं हैं. भगवान शिव ने मां पार्वती को रामकथा सुनायी. कहा कि हम सब हैं, यह मोह है. जो भगवान की मर्जी में अपनी मर्जी मिला ले वही भक्त है. बाकी सब बेकार है. भगवान के भजनों की स्वर लहरियां पंडाल में गूंजती रहीं. श्रद्धालु देर तक भक्ति की गंगा में गोते लगाते रहे. भक्ति की धारा बही। इस अवसर पर मंदिर वेल्फेयर सोसायटी के प्रधान मोहित अग्रवाल व महासचिव शशि पाठक, वरुण शर्मा, अजीत कुमार, विक्रम गुप्ता, साहिल गुप्ता, वालिया, मोनू खन्ना, सुदेश अग्रवाल, जतिन जॅट, मोहित अग्रवाल, सुभाष मकरंदी, चेतन सूरी, राकेश चोपड़ा, कुलदीप शर्मा,प्रकाश बठला, विक्की बठला, लवली बठला, विशाल अग्रवाल, अमित अग्रवाल, सुमित अग्रवाल, श्री सत्यनारायण मंदिर के नरेश गोसाई, संदीप शर्मा, रोशन लाल सभ्रवाल, पंडित संजीव शर्मा , सुदेश अग्रवाल,चेतन सूरी, पवन धीर, विजय खौसला, प्रवीण गुप्ता, पार्षद मुनीष अग्रवाल, विकास गुप्ता , भारत भूषण लक्की ,पवन कालिया के अलावा बड़ी संख्या में भक्तजन व गणमान्य शामिल थे।