कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दिया इस्तीफ़ा, भारत और अमेरिका से बिगड़ते रिश्ते भी बने चर्चा का कारण

 

कनाडा। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान अपने इस्तीफ़े की घोषणा की। उन्होंने सत्ताधारी लिबरल पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने का फैसला किया है। हालांकि, पार्टी का नया नेता चुने जाने तक वे प्रधानमंत्री के तौर पर कार्य करते रहेंगे। प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ट्रूडो ने कहा, “प्रधानमंत्री के रूप में हर दिन देश की सेवा करना मेरे लिए गर्व की बात रही। हमने महामारी के दौरान एकजुटता से काम किया, मज़बूत लोकतंत्र और बेहतर अर्थव्यवस्था के लिए प्रयास किए। लेकिन अब समय है कि पार्टी और देश को नया नेतृत्व मिले।”
उन्होंने यह भी कहा कि 2015 में सत्ता संभालने के बाद कनाडा की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए उन्होंने लगातार काम किया। हालांकि, हाल के महीनों में उनकी लोकप्रियता में गिरावट आई, जिसे उन्होंने चुनावी संभावनाओं के मद्देनज़र स्वीकार किया।
क्या है इस्तीफ़े की वजह?
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रूडो की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घिरी मुश्किलें उनके इस्तीफ़े का बड़ा कारण बनीं।
भारत-कनाडा के बिगड़ते रिश्ते : खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने का आरोप लगाकर ट्रूडो ने विवाद खड़ा कर दिया था। भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया और इसे बेबुनियाद करार दिया। इसके बाद दोनों देशों के रिश्ते अपने सबसे ख़राब दौर में पहुंच गए।
दोनों देशों ने एकदूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया।
भारत ने ट्रूडो सरकार पर खालिस्तानी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।अमेरिका से तनाव : डोनाल्ड ट्रंप, जो जल्द ही अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभालने वाले हैं, ने कनाडा पर 25% टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी दी।
ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका का “51वाँ राज्य” कहकर तंज कसा। कनाडा की 75% निर्यात निर्भरता अमेरिका पर है, ऐसे में यह टैरिफ कनाडा की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकता है।
घरेलू राजनीति में दबाव : लिबरल पार्टी के भीतर ट्रूडो की घटती लोकप्रियता और विरोधियों का बढ़ता दबाव इस्तीफ़े का मुख्य कारण बना।
दिसंबर में हुए सर्वे में केवल 22% कनाडाई नागरिकों ने उनके नेतृत्व पर भरोसा जताया। टोरंटो उपचुनाव में लिबरल पार्टी की हार और विपक्षी नेता पिएरे पोलिविएयर की लोकप्रियता ने उनकी स्थिति और कमजोर कर दी।
कौन बनेगा अगला नेता?
लिबरल पार्टी के नए नेता की तलाश शुरू हो गई है।
क्रिस्टिया फ्रीलैंड : पूर्व उपप्रधानमंत्री और सांसद का नाम शीर्ष दावेदारों में है।
मार्क कार्नीपूर्व केंद्रीय बैंकर और ट्रूडो के करीबी सहयोगी भी इस दौड़ में शामिल हैं।
अनिता आनंद और मेलनी जोली : परिवहन मंत्री और विदेश मंत्री का नाम भी चर्चा में है।
भारत को कैसे जोड़ रहे हैं ट्रूडो के इस्तीफ़े से?
भारतीय मीडिया और राजनयिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रूडो की भारत-विरोधी नीतियों ने उनकी लोकप्रियता को धक्का पहुंचाया। खालिस्तानी मुद्दे पर उनके बयान को घरेलू राजनीति में “सिख वोट बैंक” साधने की कोशिश बताया गया।कनाडा में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों और भारत-कनाडा के आर्थिक संबंधों पर भी इस तनाव का असर पड़ा।
क्या कहता है भविष्य?
कनाडा में अक्टूबर से पहले चुनाव होने की संभावना है। ऐसे में लिबरल पार्टी के पास समय कम है और चुनावी संभावनाओं को सुधारने की बड़ी चुनौती है। जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफ़ा उनकी नौ साल लंबी राजनीतिक पारी के अंत का संकेत देता है। अब देखने वाली बात होगी कि लिबरल पार्टी उनका विकल्प कैसे तैयार करती है और अगले चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी को कितनी टक्कर दे पाती है।

 

 

Leave a Comment