बोले-स्वच्छता अभियान के नाम पर दिखावा ज्यादा,काम कम
ट्रिब्यून टाइम्स न्यूज
कपूरथला , 1 अक्टूबर :
विरासती शहर में स्वच्छता अभियान सिर्फ दिखावा बनकर रह गया है।नेता सिर्फ झाड़ू लगाते हुए फोटो खिंचवाने में लगे हैं।जबकि शहर में गंदगी से बुरा हाल है।लोगो का इलाज करने वाला सरकार अस्पताल खुद बीमार है।यह बात शिव सेना बाला साहिब ठाकरे शिंदे ग्रुप के जिलाध्क्षय मुकेश कश्यप ने दिखावे के लिए एक दिन के लिए चलाए जाते स्वच्छता अभियान सिर्फ तंज कस्ते हुए कही।उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल परिसर में प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।अस्पताल में बीमार लोगों का इलाज होता है।वहां साफ सफाई और स्वच्छ वातावरण लोगों को मिलता है जिससे कि बीमार दवाओं और स्वच्छ वातावरण में जल्दी स्वस्थ हों पर शहर के इस अस्पताल में इससे ठीक उलटा देखने को मिल रहा है।वही प्रधानमंत्री के जन्मदिन के अवसर पर स्वच्छता पखवाड़े के आयोजन के दौरान नेताओ और अधिकारिओ द्वारा साफ सफ़ाई करने का दिखावा कर अखबारों में स्वच्छता का संदेश दिया जाता है।उन्होंने कहा कि लोगों की सेहत दुरुस्त करने का जिम्मा लेने वाला सिविल अस्पताल खुद बीमार है।अस्पताल में समस्याओं की भरमार है।ऐसा भी नहीं है कि इसकी अधिकारियों को जानकारी नहीं है।अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी नजरंदाज कर रहे हैं।उन्होंने बताया कि इमरजेंसी वार्ड में बने शौचालय की हालत काफी खराब है।यहां बदबूदार वातावरण बना रहता है।अस्पताल प्रबंधन मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है।सफाई नही होने के कारण मरीजों और उनके परिजनों को अन्य संक्रामक बीमारियों का भी खतरा बना रहता है।उन्होंने कहा लगता है नगर के इस अस्पताल के जिम्मेदार अस्पताल में आने वाले मरीजों और परिजनों को अन्य संक्रामक बीमारियों की गिरफ्त में लाना चाहते हैं।कश्यप ने कहा इसके इलावा शहर के जलोखना चौंक में बना शौचालय भी स्वच्छता अभियान की पोल खोल रहा है।जहां चारो तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है।जगह जगह पान गुटका की पिक देखी जा सकती है।उन्होंने कहा कि स्वच्छता अभियान में सिर्फ अपना नाम दर्ज कराने के लिए नेता और अधिकारी झाड़ू लेकर सफाई करते हुए अपना फोटो खिंचवाकर यह साबित करने में लगे हैं कि वह स्वच्छता के प्रति काफी जागरूक हैं।कश्यप ने कहा कि गांधी से किसी ने सवाल किया कि आप पहले किसे पसंद करेंगे आजादी व स्वच्छता,गांधी ने बिना देरी किये जबाब दिया था पहले स्वच्छता।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गांधी जी के स्वच्छता प्रेम को राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर जब स्वच्छता अभियान चलाया तो लगभग हर दल के नेता हाथ में झाड़ू लेकर सड़कों पर उतर गये।सांसद विधायक सभी ने इस अभियान मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।यह अभियान कुछ दिनों तक चला भी।ऐसा लगा मानों नेताओं ने स्वच्छता के महत्व को बखूबी समझ लिया है।लेकिन बहुत जल्द ही स्वच्छता के प्रति उनका प्रेम का पटाक्षेप हो गया।आज शहर के सड़कों, चौक चौराहों पर कूड़ा-कर्कट का अंबार लगा हुआ है।लेकिन न तो कोई नेता वहा झाड़ू लेकर पहंच रहे है और नगर निगम प्रशासन कोई खबर ले रहे है।नतीजतन वह चलाया गया स्वच्छता अभियान टाय-टाय फिस्स हो गया है। लोग पूर्व की भांति अपने हाल पर जीने को बेबस है।हालांकि यह कहना जरा भी गलत नही होगा कि स्वच्छता अभियान को हासिये पर ले जाने मे सबसे ज्यादा जिम्मेवार आम आदमी है।समाज के जागरूक आदमी भी इसकी पहल करने में आनाकानी करने लगे है।उन्होंने कहा कि समाज जागरूक को सप्ताह में कम से कम दो दिन हाथों में झाड़ू लेकर सड़कों पर उतरना ही होगा।कारण इसका अन्य लोगों पर व्यापक असर होगा। स्वच्छता के प्रति गैर जिम्मेवार लोगों को गाल पर यह एक तमाचा जैसा ही होगा।