देश के विकास के लिए वन नेशन वन इलेक्शन जरुरी-शारदा

 

-भारत में वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने का शारदा ने किया सवागत

 

ट्रिब्यून  टाइम्स  न्यूज

कपूरथला ,  18 सितंबर:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट द्वारा भारत में एक देश एक चुनाव यानी वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने का सवागत करते हुए भाजपा प्रदेश कार्यकारणी के सदस्य उमेश शारदा ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन देश के विकास के लिए बहुत जरुरी।शारदा ने कहा कि चाहे वह पंचायत हो या विधानसभा चुनाव,इससे साफ जाहिर है कि चुनावों का बोझ देश की आम जनता पर बार-बार पड़ता है।इसलिए देश और मतदाताओं को चुनावी बोझ से राहत देने के लिए वन नेशन वन इलेक्शन का संकल्प लिया गया है।मेरा मानना है कि इसे जल्द से जल्द पूरा होना चाहिए।उन्होंने कहा कि चुनाव कि अधिसूचना जारी होने के बाद सरकार किसी परियोजना की घोषणा,नई स्कीमों की शुरुआत या वित्तीय मंजूरी और कोई नियुक्ति नहीं कर सकती है।लगातार कोई न कोई चुनाव होने के कारण देश में बार-बार आदर्श आचार संहिता लागू होती है।इस वजह से सरकार जरूरी नीतिगत निर्णय नहीं ले पाती और कई योजनाओं को लागू करने में समस्या आती है।इससे विकास के काम प्रभावित होते हैं।इसलिए अगर देश में एक ही बार में लोकसभा और राज्यों की विधानसभा का चुनाव कराया जाए तो आदर्श आचार संहिता कुछ ही समय तक लागू रहेगी।इसके बाद विकास के काम बिना किसी रुकावट के किए जा सकते हैं।शारदा ने कहा इसके इलावा एक देश,एक चुनाव से  चुनावों में होने वाले भारी खर्च में कमी आएगी।बार-बार चुनाव होते रहने से सरकारी खजाने पर आर्थिक बोझ पड़ता है।देश में चुनाव कराने के लिए शिक्षकों और सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों की सेवाएं ली जाती हैं।भारी संख्या में पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती होती है।अगर सभी चुनाव साथ होंगे,तो सरकारी कर्मचारियों और सुरक्षा बलों को बार-बार चुनावी ड्यूटी पर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।इससे उनका समय बचेगा और वे अपनी ड्यूटी सही तरीके से कर पाएंगे।इस दौरान शारदा ने कांग्रेस द्वारा वन नेशन वन इलेक्शन’ पर सवाल उठाए जाने पर पलटवार किया है।उन्होंने कहा देश ने कई कल्पनाओं को वास्तविकता में बदला है।अब देश में एक विधान और एक संविधान हो गया है।उन्होंने कहा जब देश में कांग्रेस की सरकार थी,तो उस समय जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सदस्य छह साल के लिए निर्वाचित होते थे,लेकिन अब ये पांच साल का हो गया है।जम्मू-कश्मीर से अनुच्‍छेद 370 खत्म हो गया है।

 

 

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