



कपूरथला, 13 अप्रैल
प्राचीन श्री राधा कृष्ण रानी साहिबा मंदिर प्रांगण में रामकथा का आयोजन किया । श्रीमन्माध्वगौड़ेश्वर वैष्णवाचार्य देवांशु गोस्वामी जी महाराज ने कहा रामायण महिमा से पूरा वातावरण शुद्ध होता है। देवांशु गोस्वामी जी महाराज ने कहा आज हम रामायण की महिमा के बारे में जानेंगे जिसका वर्णन श्री रामायण में दिया गया है।
जब ऋषियों ने सुत जी से कलयुग के सभी दोषों से पार पाने के लिए उपाय पूछा तो सुत जी ने कहा–मुनिवरो आप सब लोग सुनिए आपको जो सुना अभीष्ट है वह मैं बताता हूं ।महात्मा नारद जी ने सनत्कुमार को जिस रामायण नमक महाकाव्य का गान सुनाया था वह समस्त पापों का नाश और दुष्ट ग्रहों की बाधा का निवारण करने वाला है वह संपूर्ण वेद अर्थो की सम्मति के अनुकूल है ।रामायण से समस्त दुख स्वप्नो का नाश हो जाता है वह धन्यवाद के योग्य तथा भोग और मोक्ष रूप फल प्रदान करने वाला है। उसमें भगवान श्री रामचंद्र जी की लीला कथा का वर्णन है ।यह काव्य अपने पाठक और श्रोताओं के लिए समस्त कल्याणमय सिद्धिया को देने वाला है। धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों का साधन है महान फल देने वाला है । रामायण पुण्यमय फल प्रदान करने की शक्ति रखता है आप लोग एकाग्रचित होकर इस श्रवण करें ।संपूर्ण जगत के हित साधन में लगे रहने वाले जो मनुष्य सदा रामायण के अनुसार बर्ताव करते हैं वही संपूर्ण शास्त्रों के मर्म को समझने वाले और कृतार्थ हैं ।रामायण धर्म अर्थ काम और मोक्ष का साधन तथा परम अमृत रूप है अतः सदा भक्ति भाव से उसका श्रवण करना चाहिए ।जिस मनुष्य के पूर्व में सारे पाप नष्ट हो जाते हैं उसी का रामायण के प्रति अधिक प्रेम होता है यह निश्चित बात है।रामायण परम पुण्य दायक उत्तम काव्य का श्रवण करें जिसके सुनने से जन्म जरा और मृत्यु के भय का नाश हो जाता है तथा श्रवण करने वाला मनुष्य पाप दोष से रहित होकर अच्युतस्वरूप हो जाता है ।रामायण काव्य अत्यंत उत्तम वरणीय और मनोवांछित फल देने वाला है उसका पाठ और श्रवण करने वाले समस्त जगत को शीघ्र ही संसार सागर से पार कर देता है उस आदि काव्य को सुनकर मनुष्य प्रभु श्री रामचंद्र जी के परम पद को प्राप्त कर लेता है ।जो ब्रह्म रुद्र और विष्णु नमक भिन्न–भिन्न रूप धारण करके विश्व की सृष्टि संघार और पालन करते हैं उन आदि देव परमात्मा श्री रामचंद्र जी को अपने हृदय मंदिर में स्थापित करके मनुष्य मोक्ष का भाग होता है ।जो नाम तथा जाति आदि विकल्पों से रहित, कार्य कारण से परे वेदांत शास्त्र के द्वारा जानने योग्य एवं अपने ही प्रकाश से प्रकाशित होने वाला परमात्मा है उसका समस्त वेदों और पुराणों के द्वारा साक्षात्कार होता है इस रामायण के अनुशीलन से भी उसी की प्राप्ति होती है ।जो भगवान श्री रामचंद्र जी के मंगलमय चरित्र का श्रवण करता है वह इस लोक और परलोक में भी अपनी समस्त उत्तम कामनाओं को प्राप्त कर लेता है ।वह सब पापों से मुक्त हो अपनी 21 पीढ़ियों के साथ भगवान श्री रामचंद्र जी के उसे परमधाम में चला जाता है जहां जाकर मनुष्य को कभी शोक नहीं करना पड़ता है ।रामायण आदि काव्य है यह स्वर्ग और मोक्ष देने वाला है अतः संपूर्ण धर्म से रहित घोर कलयुग आने पर 9 दिनों में रामायण की अमृतमय कथा को श्रवण करना चाहिए ।जो लोग भयंकर कलिकाल में श्री राम नाम का आश्रय लेते हैं वही कृतार्थ होते हैं । कलयुग उन्हें बाधा नहीं पहुंचता ।जिस घर में प्रतिदिन रामायण की कथा होती है वह तीर्थ रूप हो जाता है वहां जाने से दुष्टों के पापों का नाश होता है।इस शरीर में तभी तक पाप रहते हैं जब तक मनुष्य श्री रामायण कथा का भली भांति श्रवण नहीं करता।संसार में श्री रामायण कथा परम दुर्लभ ही है जब करोड़ों जन्मों के पुण्य का उदय होता है तभी उसकी प्राप्ति होती है ।कार्तिक माघ और चैत्र के शुक्ल पक्ष में रामायण के श्रवण मात्र से सौदास भी श्राप मुक्त हो गए थे।सोदास ने महर्षि गौतम के श्राप से राक्षस शरीर प्राप्त किया था वे रामायण के प्रभाव से ही पुनः उसे श्राप से छुटकारा पा सके थे।जो भी मनुष्य भगवान श्री रामचंद्र जी की भक्ति का आश्रय ले प्रेम पूर्वक इस कथा का श्रवण करता है वह बड़े–बड़े पापों तथा पातक आदि से मुक्त हो जाता है। देवांशु गोस्वामी जी महाराज ने कहा .रामायण का अर्थ है राम का मंदिर, राम का घर,जब हम मंदिर जाते है तो एक समय पर जाना होता है, मंदिर जाने के लिए नहाना पडता है,जब मंदिर जाते है तो खाली हाथ नहीं जाते कुछ फूल,फल साथ लेकर जाना होता है.मंदिर जाने कि शर्त होती है,मंदिर साफ सुथरा होकर जाया जाता है. रामचरितमानस की चौपाइयों में ऐसी क्षमता है कि इन चौपाइयों के जप से ही मनुष्य बड़े–से–बड़े संकट में भी मुक्त हो जाता है।इन मंत्रो का जीवन में प्रयोग अवश्य करे प्रभु श्रीराम आप के जीवन को सुखमय बना देगे। मामभिरक्षक रघुकुल नायक | घृत वर चाप रुचिर कर सायक || राजिव नयन धरे धनु सायक |भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक || मोरे हित हरि सम नहि कोऊ |एहि अवसर सहाय सोई होऊ ||वंदौ बाल रुप सोई रामू |सब सिधि सुलभ जपत जोहि नामू ||सुमिर पवन सुत पावन नामू |अपने वश कर राखे राम ||दीन दयालु विरद संभारी |हरहु नाथ मम संकट भारी ||सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही |राम सुकृपा बिलोकहि जेहि ||राम कृपा नाशहि सव रोगा |जो यहि भाँति बनहि संयोगा ||दैहिक दैविक भोतिक तापा |राम राज्य नहि काहुहि व्यापा ||राम भक्ति मणि उस बस जाके |दुःख लवलेस न सपनेहु ताके ||गई बहोरि गरीब नेवाजू |सरल सबल साहिब रघुराजू ||सीता राम चरण रत मोरे |अनुदिन बढे अनुग्रह तोरे ||जै सकाम नर सुनहि जे गावहि |सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं ||मोहि सुधारहि सोई सब भाँती |जासु कृपा नहि कृपा अघाती ||गुरू गृह पढन गए रघुराई |अल्प काल विधा सब आई ||जेहि पर कृपा करहि जन जानी |कवि उर अजिर नचावहि बानी ||ताके युग पदं कमल मनाऊँ |सु कृपा निर्मल मति पाऊँ ||होय विवेक मोह भ्रम भागा |तब रघुनाथ चरण अनुरागा ||सब नर करहिं परस्पर प्रीती |चलत स्वधर्म कीरत श्रुति रीती ||बैर न कर काह सन कोई |जासन बैर प्रीति कर सोई ||अनुजन संयुत भोजन करही |देखि सकल जननी सुख भरहीं ||सेवाहि सानुकूल सब भाई |राम चरण रति अति अधिकाई ||बैर न कर काहू सन कोई |राम प्रताप विषमता खोई ||गरल सुधा रिपु करही मिलाई |गोपद सिंधु अनल सितलाई ||जाके सुमिरन ते रिपु नासा |नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा ||विश्व भरण पोषण करि जोई |ताकर नाम भरत अस होई ||राम सदा सेवक रूचि राखी |वेद पुराण साधु सुर साखी ||पापी जाकर नाम सुमिरहीं |अति अपार भव भवसागर तरहीं ||अल्प मृत्यु नहि कबजिहूँ पीरा |सब सुन्दर सब निरूज शरीरा ||नहि दरिद्र कोऊ दुःखी न दीना |नहि कोऊ अबुध न लक्षण हीना ||अतिशय प्रीति देख रघुवीरा |प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा ||नयन बन्त रघुपतहिं बिलोकी |आए जन्म फल होहिं विशोकी ||अनुचित बहुत कहहूँ अज्ञाता |क्षमहुँ क्षमा मन्दिर दोऊ भ्राता || देवांशु गोस्वामी जी महाराज ने कहा “रामचरित मानस एहिनामा, सुनत श्रवन पाइअ विश्रामा” राम चरित मानस तुलसीदास जी ने जब किताब पर ये शब्द लिखे तो आड़े में रामचरितमानस ऐसा नहीं लिखा, खड़े में लिखा रामचरित मानस। किसी ने गोस्वामी जी से पूंछा आपने खड़े में क्यों लिखा तो गोस्वामी जी कहते है रामचरित मानस राम दर्शन की ,राम मिलन की सीढी है ,जिस प्रकार हम घर में कलर कराते है तो एक लकड़ी की सीढी लगाते है, जिसे हमारे यहाँ नसेनी कहते है,जिसमे डंडे लगे होते है,गोस्वामी जी कहते है रामचरित मानस भी राम मिलन की सीढी है जिसके प्रथम डंडे पर पैर रखते ही श्रीराम चन्द्र जी के दर्शन होने लगते है,अर्थात यदि कोई बाल काण्ड ही पढ़ ले, तो उसे राम जी का दर्शन हो जायेगा। इस अवसर पर मंदिर वेल्फेयर सोसायटी के प्रधान मोहित अग्रवाल व महासचिव शशि पाठक, वरुण शर्मा, अजीत कुमार, विक्रम गुप्ता, साहिल गुप्ता, वालिया, मोनू खन्ना, सुदेश अग्रवाल, जतिन जॅट, मोहित अग्रवाल, सुभाष मकरंदी, चेतन सूरी, राकेश चोपड़ा, कुलदीप शर्मा,प्रकाश बठला, विक्की बठला, लवली बठला, विशाल अग्रवाल, अमित अग्रवाल, सुमित अग्रवाल, श्री सत्यनारायण मंदिर के नरेश गोसाई, संदीप शर्मा, रोशन लाल सभ्रवाल, पंडित संजीव शर्मा , सुदेश अग्रवाल,चेतन सूरी, पवन धीर, विजय खौसला, प्रवीण गुप्ता, पार्षद मुनीष अग्रवाल, विकास गुप्ता , भारत भूषण लक्की ,पवन कालिया के अलावा बड़ी संख्या में भक्तजन व गणमान्य शामिल थे।