



ट्रिब्यून टाइम्स न्यूज
कपूरथला, 10 अप्रैल
1699 ई.की बैसाखी को साहिब-ए-कमाल, सरबंसदानी श्री गुरु गोबिंद सिंह साहिब जी ने खालसा पंथ की स्थापना कर जो क्रांतिकारी सुशोभित किया,जिसने सदियों से प्रताड़ित गरीब और कमजोर लोगों को अमृत का उपहार देकर वीर,योद्धा और बलिदानी बनाया और पांच शीश लेकर पांच प्यारे सजाये।उन पांचों से अमृत की दात ली और संसार में स्वयं को गुरु चेला कहलाया।उस महान क्रांतिकारी दिन को खालसा साजना दिवस के रूप में याद किया जाता है।इस अवसर पर देश विदेश में रहने वाली सिख संगतों द्वारा कगर कीर्तन सजाये जाते है।इस के तहत विरासती शहर के मोहब्बत नगर से बैसाखी को समर्पित नगर कीर्तन निकाला गया।इस अवसर पर नगर सुधार ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन एवं आम आदमी पार्टी मेन विंग के प्रदेश संयुक्त सचिव गुरपाल सिंह इंडियन शिरकत कर गुरु साहिब का आशीर्वाद लिया।इस अवसर पर इंडियन ने कहा कि खालसा साजना का इतिहास सिख समुदाय के लिए एक गौरवशाली गाथा है,जिससे हर सिख के अंदर अद्भुत और अनूठे अस्तित्व की भावना पैदा होती है।खालसा वह एक आदर्श पुरुष हैं,जिनका जीवन समाज के लिए प्रेरणा के साथ-साथ अधिकार और सत्य की रक्षा के लिए एक उदाहरण है।खालसा के निर्माण में दस गुरुओं की पवित्र विचारधारा समाहित है।उन्होंने कहा कि दशम पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा की स्थापना कर गुरुओं की विचारधारा को सार्थकता प्रदान की।दसवें गुरु के इस अविश्वसनीय पराक्रम ने सदियों से अत्याचार और गुलामी का जीवन जी रहे लोगों को आत्मविश्वास से भर दिया और अर्श तक पहुंचा दिया।श्री आनंदपुर साहिब में 1699 की बैसाखी का यह दिन जुल्म,अत्याचार,अन्याय, भेदभाव,झूठ,पाखंड,अन्याय आदि के विरुद्ध संघर्ष का बिगुल बन गया।यह दिन अनोखा नजारा पेश करने वाला भी है,क्योंकि इस दिन जहां एक ओर गुरु जी द्वारा बनाए गए पांच प्यारों को गुरु साहिब जी से अमृत का वरदान प्राप्त हुआ था,वहीं दूसरी ओर गुरु साहिब जी ने भी खालसा से अमृत ग्रहण कर विश्व के धार्मिक इतिहास में एक अनूठी मिसाल कायम की थी।इससे गुरु और शिष्य का एक नया रूप सामने आया जिसमें गुरु और शिष्य में कोई अंतर नहीं रहा।इस अवसर पर एडवोकेट हरप्रीत कौर कपूर,अनिल कुमार नाहर,जिला कार्यक्रम प्रभारी गौरव कंडा,तरूणप्रीत सिंह वालिया,मनिंदर सिंह,करण दीक्षित, राजदीप सिंह धीमान,बलजीत कौर,मैडम अमरजीत कौर आदि उपस्थित थे।