आरसीएफ एम्पलाइज यूनियन एवं शहीद भगत सिंह विचार मंच द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सेमिनार का आयोजन

 

-महिलाओं ने हर बड़े आंदोलन और क्रांति में अहम योगदान दिया है: सुचेता डे

 

 

ट्रिब्यून  टाइम्स  न्यूज

कपूरथला, 9 मार्च:

 

आरसीएफ एम्पलाइज यूनियन एवं शहीद भगत सिंह विचार मंच के संयुक्त तत्वावधान में 8 मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों, उनकी सामाजिक भूमिका और ऐतिहासिक संघर्षों में उनके योगदान के बारे में जागरूकता फैलाना था।

  

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता ऑल इंडिया सेंटर काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन (AICCTU) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुश्री सुचिता डे थीं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डाला और रूसी क्रांति से लेकर वर्तमान साम्राज्यवादी व्यवस्था तक के सफर में महिलाओं की भूमिका पर गहन चर्चा की। उन्होंने महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति सजग रहने और समाज में समानता के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया।

 सुचिता डे ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 20वीं शताब्दी के शुरुआती दौर में हुई थी। यह दिवस महिलाओं के अधिकारों, समानता और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष का प्रतीक है। 8 मार्च, 1908 को न्यूयॉर्क में हज़ारों महिलाओं ने काम के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और मतदान के अधिकार के लिए प्रदर्शन किया था। इसके बाद 1910 में कोपेनहेगन में हुए अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में क्लारा ज़ेटकिन ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। 1917 में रूसी क्रांति के दौरान महिलाओं ने “रोटी और शांति” की मांग को लेकर हड़ताल की, जिसके बाद 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मान्यता मिली।

रूसी क्रांति में महिलाओं की भूमिका पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि रूसी महिलाओं ने न केवल युद्ध और भूख के खिलाफ आवाज़ उठाई, बल्कि उन्होंने समाजवादी क्रांति को आगे बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई। महिलाओं के संघर्ष ने न केवल रूस बल्कि पूरी दुनिया में महिलाओं के अधिकारों के लिए एक नई लहर पैदा की।

 सुचेता डे ने साम्राज्यवादी व्यवस्था के प्रभावों पर चर्चा करते हुए बताया कि साम्राज्यवाद ने महिलाओं के जीवन को गहराई से प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि साम्राज्यवादी नीतियों ने महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से कमजोर बनाया है। महिलाओं को न केवल शोषण का शिकार बनाया गया, बल्कि उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों को भी सीमित किया गया। सुचेता डे ने इस व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष करने और महिलाओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

  इस सेमिनार में सुचेता डे ने महिलाओं के अधिकारों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी के समान अवसर मिलने चाहिए। उन्होंने महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक होने और उन्हें हासिल करने के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया। सुचेता डे ने यह भी कहा कि महिलाओं को घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और लैंगिक भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए।

सुचेता डे ने ऐतिहासिक संघर्षों में महिलाओं की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि महिलाओं ने हर बड़े आंदोलन और क्रांति में अहम योगदान दिया है। चाहे वह भारत का स्वतंत्रता संग्राम हो या वैश्विक श्रमिक आंदोलन, महिलाओं ने हमेशा अग्रिम पंक्ति में रहकर संघर्ष किया है। उन्होंने आगामी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका को और मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया। सुचेता डे ने कहा कि महिलाओं को न केवल अपने अधिकारों के लिए, बल्कि समाज में समानता और न्याय के लिए भी संघर्ष करना चाहिए।

सुचेता डे ने अपने संबोधन में महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति सजग रहने और समाज में समानता के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के बिना कोई भी सामाजिक या राजनीतिक परिवर्तन संभव नहीं है। इस सेमिनार ने महिलाओं को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस कार्यक्रम में रेल कोच फैक्ट्री (आरसीएफ), कपूरथला के कर्मचारी, उनके परिवार के सदस्य और अन्य गणमान्य लोगों के साथ-साथ आईआरटीएसए, ओबीसी, यूरिया, डॉ बी आर अंबेडकर सोसाइटी इत्यादि ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. परमिंदर कौर मोगा द्वारा किया गया। सेमिनार की शुरुआत में ड. भूपेंद्र कौर व अंत में मैडम मनदीप कौर ने अपने विचार पेश किया। सेमिनार में आयुषी, कन्नू प्रिया, रिंपल प्रीत कर द्वारा इंकलाबी कविताओं व कोरियोग्राफी की पेशकारी की गई।

सेमिनार के अंत में, सभी उपस्थित लोगों ने महिलाओं के अधिकारों और समानता के लिए संघर्ष को मजबूत करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक भूमिका को मजबूत करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया गया।

 

 

 

 

 

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