ट्रिब्यून टाइम्स न्यूज
कपूरथला, 17 मार्च :
सिद्ध योगी भजन मंडली मंदिर बाबा बालक नाथ जी मुहल्ला जटपुरा कपूरथला प्रबंधक कमेटी द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी वार्षिक भंडारे एवं बाबा जी की चोंकी का आयोजन का आयोजन बाबा बालक नाथ जी के मंदिर में धूमधाम एवं श्रद्धापूर्वक किया गया।इस अवसर पर आयोजित धार्मिक समागम में विश्व हिंदू परिषद जालंधर विभाग के अध्यक्ष नरेश पंडित व बजरंग के जिला अध्यक्ष आनंद यादव व जिला उपप्रधान कवी बजाज ने शामिल होकर बाबा बालक नाथ जी का आशीर्वाद लिया और बाबा जी के श्रीचरण में सरबत के भले की अरदास की।इस अवसर पर आयोजन समिति के मुख्य प्रबंधक हरमनदीप शेखड़ी,जगदीश कुमार,हरप्रीत कुमार, गगनदीप,गौरव वर्मा,संदीप,शाम लाल,वरिंदर कुमार ने नरेश पंडित को स्मृति चित्र भेंट कर सम्मानित भी किया।इस अवसर पर नरेश पंडित ने कहा कि बाबा बालक नाथ जी को पौणाहारी,झोलिया वाला,धूनेवाला दूधाधारी,रत्नों दा लाल,गऊ पाली,गुफा दा वासी,कलाधारी,सिद्ध नाथ सहित कई नामों से बाबा जी का ध्यान किया जाता है।प्राचीन कथाओं के अनुसार,बाबा ब्लॉक नाथ जी ने चार युगों में शिव भोले नाथ की पूजा की और माता रत्नों के बताए मार्ग के अनुसार माता पार्वती जी के आशीर्वाद से बाबा जी को शिव भोले नाथ के साक्षात दर्शन हुए,जिस पर शिव भोले नाथ जी ने बाबा जी को अमरत्व का आशीर्वाद दिया और कलियुग में रास्ता बताने वाली माता रत्नों की बारह वर्ष की सेवा का फल प्राप्त हुआ।उसके उपरांत कलयुग में बाबा ब्लॉक नाथ जी का जन्म गुजरात की भूमि जूनागढ़ में माता लक्ष्मी और पिता विष्णु के घर हुआ।बचपन में ही बाबा जी गुरु दत्तात्रे जी को अपना गुरु बनाकर पिछले जन्म का अपना ऋण चुकाने के लिए माता रत्नो के घर हिमाचल में प्रदेश के जिला हमीरपुर के नगर शाहतलाई में आये,जहां बाबा ने माता रत्नो की सेवा करते हुए बारह वर्षों तक गायें चराईं। बारह वर्ष पूरे होने पर बाबा बालक नाथ जी ने माता रत्नो और गुरु गोरख नाथ जी को कुटक दिखाते हुए मोर पर सवारी करते हुए वह धौल गिरी पर्वत पर एक गुफा में आकर बैठ गए।जिसेको आज दिओट सिद्ध के नाम से जाना जाता है,जहां बाबा जी राजा भरथरी के साथ शिव भक्ति में लीन हो गए।इस तपस्या स्थल पर करोड़ो भक्त झोलिया भरते हैं।नरेश पंडित ने कहा कि कलयुग में जो व्यक्ति बाबा बालक नाथ ji की चोंकी करवाता है व उनके आशीर्वाद से ही वह अपने सभी कार्य पूर्ण करता है,उस पर पौणाहारी की कृपा सदैव बनी रहती है और सभी कार्य सफल होते हैं।