



शक्ति रूपेण संसिता : आस्था का केंद्र माता भद्रकाली मंदिर
– श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है माता भद्रकाली
–मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मुरादें पूरी होती
–भक्तजन पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान के अलावा विदेशों से नतमस्तक होने आते
कपूरथला :
माता भद्रकाली जी के 78वें मेले 22 मई व 23 मई को है।उत्तर भारत के पावन व ऐतिहासिक स्थलों में विख्यात जिले के शेखूपुर स्थित माता भद्रकाली मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। कपूरथला में शेखूपुर में स्थित माता भद्रकाली मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। यह मंदिर 200 साल से भी अधिक पुराना है और यहाँ सालों से मेला लगता है। मंदिर की ऐतिहासिकता के बारे में एक कथा प्रचलित है कि स्वतंत्रता से पहले यह मंदिर पाकिस्तान के लाहौर में था, जहाँ हर साल मेला लगता था। श्री दुर्गा मंडल मंदिर माता भद्रकाली वैलफेयर सोसायटी के प्रधान पुरषोत्तम पासी ने बताया कि भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद, यह मेला शेखूपुर में माता भद्रकाली के मंदिर में लगने लगा। सन 1947 में भारत-पाक के विभाजन से पहले श्रद्धालु पाकिस्तान के लाहौर के गांव शेखूपुर स्थित भद्रकाली मंदिर में झंडा चढ़ाने व मां का आर्शीवाद लेने के लिए जाया करते थे। वर्ष 1947 में ठाकुर दास मेहरा ने कपूरथला के शेखूपुर में माता भद्रकाली की मूर्ति स्थापित की थी। मूर्ति की पूजा पंडित धनी राम ने विधिवत व मंत्रोच्चारण से की थी । इस मंदिर का एक रोचक इतिहास यह भी है कि भारत के पड़ोसी देश में रहने वाले ¨हदू सैनिक भक्त की मुराद पुरी होने पर वह माता के मंदिर में एक घंटा भेंट करना चाहता था। परंतु किसी कारणवश सैनिक अपनी मनोकामना वहां पूरी नहीं कर पाया। इसी दौरान माता भद्रकाली ने सैनिक को सपने में कहा कि अब उनका निवास भारत के पंजाब राज्य के गांव शेखूपुर जिला कपूरथला में हो गया है, वह अपनी मुराद पुरी करने के लिए पंजाब के जिला कपूरथला के गांव शेखूपुर में जाए। सैनिक ने अपनी मुराद पूरी होने पर माता भद्रकाली मंदिर शेखूपुर में घंटा भेंट किया, जो कि अभी भी मंदिर मौजूद है। श्री दुर्गा मंडल मंदिर माता भद्रकाली वैलफेयर सोसायटी के प्रधान पुरषोत्तम पासी ने बताया कि यह मंदिर 200 वर्ष पुराना है और माता भद्रकाली जी के वर्षो से यहां मेला लग रहा है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है।सुल्तानपुर लोधी रोड स्थित गांव शेखूपुर में माता भद्रकाली मंदिर में हर वर्ग के श्रद्धालु शीश निवाते हैं। पंजाब ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों से भी सभी वर्गो के लाखों श्रद्धालु मां का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मुरादें पूरी होती है। यह माता भद्रकाली का मंदिर पंजाब का प्रसिद्ध तीर्थस्थल बन चुका है। दंत कथा के अनुसार जब देवासुर संग्राम चल रहा था तो रक्तबीज नामक राक्षस को समाप्त करने में देवताओं ने अपनी पूरी शक्ति लगा दी, परंतु घायल रक्तबीज का रक्त धरती पर जहां भी गिरता तो सैकड़ों रक्तबीज पैदा हो जाते। देवताओं की व्यथा सुनकर क्रोधित हुए शंकर भगवान ने अपनी जटाओं में से एक जटा सामने पड़े पत्थर पर पटक दी। इससे माता भद्रकाली प्रकट हुई। इसी नारी शक्ति ने राक्षसों और रक्तबीज का संहार किया और रक्तबीज का रक्त धरती पर गिरने नहीं दिया। इस तरह राक्षसों तथा रक्तबीज का संहार करने पर शक्ति स्वरूप मां भद्रकाली का नाम रक्तदंता पड़ा। स्वतंत्रता से पूर्व माता भद्रकाली का मेला लाहौर में व्यापक स्तर पर लगता था। 1947 में भारत विभाजन के उपरांत यह मेला कपूरथला के शेखूपुर स्थित एक छोटे से मंदिर लगने लगा। जहां अब एक विशाल मंदिर स्थापित हो चुका है। हर मंगलवार यहां भारी संख्या में श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं। मां के मंदिर से मांगी मन्नत पूरी होने पर मेले वाले दिनों में दूर-दराज से श्रद्धालु शीश निवाने पहुंचते हैं। इस मंदिर की एक विशेषता है कि इस माता भद्रकाली मंदिर में सच्चे मन से जो भक्तजन मांगते है, उनकी मनोकामना मां पूरी करती है। दो दिवसीय मेले में हर वर्ष लाखों की संख्या में भक्तजन पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान के अलावा विदेशों से मां के चरणों में नतमस्तक होने आते हैं। इस मंदिर का निर्माण 13 फाल्गुण 1855 संवत को ठाकुर दास मेहरा ने बनवाया था। इसमें मूर्ति पंडित धनी राम जी ने प्रतिष्ठापित करवाई थी, तब से महामाई भद्रकाली का प्राण प्रतिष्ठा दिवस हवन यज्ञ करके मनाया जाता है, मंदिर में मां भद्रकाली, बजरंग बली, भैरो जी, शिव जी, संतोषी माता, श्री गणेश भगवान व अन्य कई मूर्तियां विराजमान हैं। मंदिर में हर वर्ष प्रबंधक कमेटी व इलाका निवासियों के सहयोग के साथ विशाल मेले का आयोजन किया जा रहा है। यह मेला 2 से 3 दिन तक चलता है। इस मंदिर में दशहरा, दीपावली, नवरात्र, तुलसी विवाह, होली, महाशिवरात्री, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आदि पर्व धूमधाम से मनाए जाते हैं। श्री दुर्गा मंडल मंदिर माता भद्रकाली वैलफेयर सोसायटी प्रधान पुरषोत्तम पासी, राधेश्याम शर्मा ने बताया कि अपने पवित्र व रोचक इतिहास के कारण धीरे-धीरे इलाके के लोगों में मंदिर के प्रति आस्था में विस्तार होता गया और लोग मंदिर में झंडा चढ़ाने लगे। पहले मंदिर छोटा सा ही था, लेकिन अब यह मंदिर विशाल रूप धारण कर चुका है। मंदिर में त्योहारों पर विशेष आयोजन किए जाते हैं। आयोजन व मंदिर की देखरेख के लिए मंदिर कमेटी का गठन किया गया है। मंदिर कमेटी का गठन करने के उपरांत 1947 में माता भद्रकाली मंदिर शेखूपुर में भक्तों के सहयोग से मेले का आरंभ किया गया और मेला कमेटी का प्रधान हीरा लाल आनंद को नियुक्त किया गया था। मौजूदा समय में श्री दुर्गा मंडल मंदिर माता भद्रकाली वैलफेयर सोसायटी शेखूपुर के प्रधान पुरषोत्तम पासी अपने साथियों सहित मंदिर की सेवा निभा रहे हैं।