आम आदमी पार्टी ने वन नेशन,वन इलेक्शन के प्रस्ताव का किया विरोध,इसे असंवैधानिक और लोकतंत्र के सिद्धांतों के बताया खिलाफ
ट्रिब्यून टाइम्स न्यूज
कपूरथला, 02 सितंबर
संसद के विशेष सत्र के दौरान वन नेशन-वन इलेक्शन बिल का प्रस्ताव लाए जाने के कयास लग रहे हैं।जिस बीच आम आदमी पार्टी ने वन नेशन,वन इलेक्शन के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे असंवैधानिक और लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ बताया है।पार्टी ने कहा कि प्रस्ताव बीजेपी के कथित ऑपरेशन लोटस को वैध बनाने और विधायकों की खरीद-फरोख्त को वैध बनाने के लिए है।यदि किसी दल को बहुमत नहीं मिलता है,तो विधायक और सांसद सीधे राष्ट्रपति-शैली के वोट के माध्यम से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का चुनाव कर सकते हैं।नगर सुधार ट्रस्ट मुख्यालय पर एक संवाददाता सम्मेलन में आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयुक्त सचिव व नगर सुधर ट्रस्ट के चेयरमेन गुरपाल सिंह इंडियन ने कहा, कि संविधान का मूल ढांचा देश को लोकतंत्र के संसदीय स्वरूप की गारंटी देता है।विधायिका प्रश्नों,प्रस्तावों,अविश्वास प्रस्तावों,स्थगन प्रस्तावों और बहसों के माध्यम से सरकार की जांच कर सकती है।सरकार तब तक चलती है जब तक उसे विश्वास है।लेकिन वन नेशन वन इलेक्शन प्लान में यह पूरी अवधारणा बदल जाती है।उन्होंने कहा चुनाव एक साथ होते हैं तो राज्य केंद्रित मुद्दे सार्वजनिक चर्चा से दूर हो जाएंगे क्योंकि यह शक्तिशाली और संसाधन-संपन्न दलों द्वारा नियंत्रित खेल बन जाएगा।ऐसे पैटर्न हैं जो इंगित करते हैं कि समाज के विभिन्न वर्ग राज्य और केंद्र के चुनावों में दो पूरी तरह से अलग पार्टियों को वोट देते हैं।चुनाव लोकतांत्रिक अभ्यास होने के बजाय धन और बाहुबल का खेल बन जाएगा।इस प्रक्रिया से संसदीय प्रणाली की मूल भावना ही बदल जाएगी।इंडियन ने यह भी कहा,कॉन्सट्रक्टिव वोट ऑफ नो-कॉन्फिडेंस की शुरुआत करके,एक साथ चुनाव लोकतंत्र और लोगों के अपने प्रतिनिधियों को चुनने और उन्हें जवाबदेह ठहराने के अधिकार को कमजोर कर देंगे।आज की स्थिति में,चुनाव फिर से होते हैं और लोगों को यह अधिकार है कि वे फिर से अपना निर्णय लें।और जनता फिर से मतदान करके नई सरकार चुन सकती है।लेकिन वन नेशन,वन इलेक्शन सिस्टम में लोगों को अगले चुनाव तक इंतजार करना होगा।इंडियन ने कहा कि इस प्रस्ताव में एक और बहुत खतरनाक बात है जिसे कॉन्सट्रक्टिव वोट ऑफ नो कॉन्फिडेंस’कहा जाता है यानी अगर अविश्वास प्रस्ताव के बाद अगर कोई सरकार गिरती है तो वही मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री अपने पद पर तब तक बना रहेगा जब तक कि कोई और सरकार न बना ले।इसका मतलब यह है कि सदन में बहुमत न होने के बावजूद सरकारें कई वर्षों तक चल सकती हैं,क्योंकि चुनाव पांच साल बाद ही हो सकते हैं।