-श्री रानी साहिबा मंदिर में एक शाम खाटू वाले के नाम’ श्री श्याम फागुन महोत्सव बड़े श्रद्धा व उत्साह मनाया
-दीपक गुप्ता जालंधर वाले व भजन गायिका परविंदर पलक फतेहाबाद हरियाणा ने मधुर स्वर में गायन किए भजन
ट्रिब्यून टाइम्स न्यूज
कपूरथला, 24 फरवरी :
प्राचीन श्री रानी साहिबा मंदिर और श्रद्धालुओं की ओर से श्री रानी साहिबा मंदिर में एक शाम खाटू वाले के नाम’ श्री श्याम फागुन महोत्सव बड़े श्रद्धा व उत्साह के साथ मंदिर प्रांगण में करवाया गया।। हारे के सहारे खाटू श्याम प्यारे, खाटू बाबा सबकी सुनते है,चलो चले श्याम के दरबार के मधुर भजनों पर झूमते हुए भक्तजनों ने भगवान श्री खाटू श्याम जी के चरणों में अपनी हाजिरी लगवाई। श्री रानी साहिबा मंदिर कमेटी के सदस्यों ने मंत्रोच्चारण के साथ पूजा–अर्चना कराई। भव्य दरबार सजाया गया और भक्तजनों ने नतमस्तक होकर भगवान का आशीर्वाद ग्रहण किया। सबसे पहले कार्यक्रम की शुरूआत भजन गायक दीपक गुप्ता जालंधर वाले व भजन गायिका परविंदर पलक फतेहाबाद हरियाणा ने वाले ने की। संकीर्तन मंडल ने भजन गए,गायिका परविंदर पलक फतेहाबाद हरियाणा ने श्रीगणेश और सरस्वती वंदना से शुरुआत करते हुए राम कृष्ण की नगरी के हम रहने वाले हैं, आदि भजनों की अमृत वर्षा कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। परविंदर पलक फतेहाबाद हरियाणा ने हारे का सहारा, खाटू श्याम हमारा, मुझे तेरे नाम का सहारा चाहिए, सुबह और शाम बाबा के दर्शन चाहिए, सुनाकर तालियां बटोरीं। श्याम नाम गालो, सहारा मिलेगा, चलो सब खाटू दरबार, आदि भजन प्रस्तुत किए। इन पर श्रद्धालुओं ने देर रात तक झूम रहे थे । फूलों की बौछार हुई। श्याम बाबा के जयघोष से वातावरण भक्तिमय हो गया। आदि भजनों पर परिसर में बैठे सैकड़ों भक्तजन झूम रहे थे, जैसे वह खाटू दरबार में प्रभु के सामने बैठ प्रभु जी का गुणगान कर रहे हो ऐसा आलोकिक नजारा प्राचीन श्री रानी साहिबा मंदिर के प्रांगण में चल रहा था। चारों तरफ भगवान खाटू श्याम जी के नाम का सिमरन में भक्तजन मस्त थे। ऐसा लग रहा था कि खाटू श्याम भक्तजनों के सामने विराजमान है और भक्तजन प्रभु की वंदना कर रहे है। संकीर्तन मंडली की ओर से भजन वंदना कर माहौल को धार्मिक रंग में रंगा गया और भारी संख्या में भगवान खाटू श्याम जी के भक्तों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई ओर प्रभु जी का आशीर्वाद ग्रहण किया। एक शाम खाटू वाले के नाम’ श्री श्याम फागुन महोत्सव धार्मिक समागम पर भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था,जैसे भगवान खाटू श्याम जी भक्तों के सामने विराजमान है और भक्त प्रभु जी के गुणगान कर खाटू श्याम जी के चरणों में वंदना कर रहे है। शहर के सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने धार्मिक समागम में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा प्रभु जी के दर्शन किए। इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय श्री महारानी साहिबा मंदिर में धार्मिक समागम में रचा। पूरा कपूरथला प्रभु धाम में परिवर्तित होते हुए लगा। उक्त धार्मिक कार्यक्रम हरि इच्छा तक चला। कमेटी के महासचिव शशि पाठक ने बताया कि ऐसा कहा जाता है कि श्याम बाबा से भक्त जो भी मांगता है, वो उन्हें लाखों–करोड़ों बार देते हैं, यही वजह है कि खाटू श्याम को लखदातार के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार खाटू श्याम को कलियुग में कृष्ण का अवतार माना जाता है। बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से है। ये पांडुपुत्र भीम के पोते थे। ऐसा कहा जाता है कि खाटू श्याम की शक्तियों और क्षमता से खुश होकर श्री कृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजने का वरदान दे डाला था। वनवास के दौरान, जब पांडव अपनी जान बचाते हुए इधर–उधर घूम रहे थे, तब भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ। हिडिम्बा ने भीम से एक पुत्र को जन्म दिया जिसे घटोखा कहा जाता था। घटोखा से पुत्र हुआ बर्बरीक। इन दोनों को अपनी वीरता और शक्तियों के लिए जाना जाता था। जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध होना था, तब बर्बरीक ने युद्ध देखने का निर्णेय लिया था। श्री कृष्ण ने जब उनसे पूछा कि वो युद्ध में किसकी तरफ हैं, तब उन्होंने कहा था कि जो पक्ष हारेगा वो उसकी तरफ से लड़ेंगे। ऐसे में श्री कृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे और उन्हें डर था कि ये कहीं पांडवों के लिए उल्टा न पड़ जाए। ऐसे में कृष्ण जी ने बर्बरीक को रोकने के लिए दान की मांग की। दान में उन्होंने उनसे शीश मांग लिया। दान में बर्बरीक ने उनको शीश दे दिया, लेकिन आखिर तक उन्होंने अपनी आंखों से युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की।श्री कृष्ण ने इच्छा स्वीकार करते हुए उनका सिर युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी पर रख दिया। युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे कि जीत का श्रेय किसको जाता है, इसमें बर्बरीक कहते हैं कि श्री कृष्ण की वजह से उन्हें जीत हासिल हुई है। श्री कृष्ण इस बलिदान से काफी खुश हुए और उन्हें कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दे दिया। ऐसा कहा जाता है कि कलयुग की शुरुआत में राजस्थान के खाटू गांव में उनका सिर मिला था। कहते हैं ये अद्भुत घटना तब घटी जब वहां खड़ी गाय के थन से अपने आप दूध बहने लगा था। इस चमत्कारिक घटना को जब खोदा गया तो यहां खाटू श्याम जी का सिर मिला। लोगों ने सर्वसम्मति से एक पुजारी को सिर सौंपने का फैसला किया। इसी बीच क्षेत्र के तत्कालीन शासक रूप सिंह को मंदिर बनवाने का सपना आया। इस प्रकार रूप सिंह चौहान के कहने पर इस जगह पर मंदिर निर्माण शुरू किया गया और खाटूश्याम की मूर्ति स्थापित की गई। 1027 ई. में रूप सिंह द्वारा बनाए गए मंदिर को मुख्य रूप से एक भक्त द्वारा मॉडिफाई किया गया था। दीवान अभय सिंह ने 1720 ई. में इसका पुनिर्माण कराया था। इस प्रकार मूर्ति को मंदिर के मुख्य गर्भगृह में स्थापित किया गया। मंदिर का निर्माण पत्थरों और संगमरमर का उपयोग करके किया गया है। द्वार सोने की पत्ती से सुशोभित है। मंदिर के बाहर जगमोहन के नाम से जाना जाने वाला प्रार्थना कक्ष भी है। खाटू श्याम का मंदिर जयपुर से 80 किमी दूर खाटू गांव में मौजूद है। इस अवसर पर मंदिर कमेटी के I प्रध्ान मोिहत गुप्ता , महासचिव शशि पाठक, कोषाध्यक्ष अजीत कुमार, मंदिर के सचिव वालिया, , साहिल गुप्ता, वरु ण शर्मा, सुनील कुमार, प्रमोद कुमार, विक्की गुप्ता, रछपाल सिंह, विकास गुप्ता, रमेश मेहरा, गोकुल शर्मा, मणी पाठक, शोभा रानी, के अलावा बड़ी संख्या में भक्तजन व गणमान्य शामिल थे।